Sunday, 12 January 2014

हकीकत

मैं जोडता रहा वो मेरा भ्रम तोडता रहा 
इस हाल बदनसीबी के,
कि  मै फिर भी जोडता रहा ,वो फिर भी तोडता रहा 
दिले आश थी कि एक दिन श्रांत हो वो मान जायेगा 
मेरे जोडने कि हकीकत को जान जायेगा 
पर तज़ुब्बे गौर कीजिये 
कि  ना वो हरा न हम हारे। …। 

----गोविन्द गुप्ता 
      कानपूर ,१२-०१-२०१४ 

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