दुनियाँ की आँधियो से
मैं मलिन हो गई
अपनों की चाहत से
मैं दूर हो गई
तो फिर
ये अहिल्या
बैठेगी तपस्या पर
पथ्तर की बूत बनकर
नितांत एकांत में
तुझको याद कर
कोई न मिले मुझसे
न कोई मुझे चाहे
मैं और बस मेरी परछाई
इस दुनियाँ से बस यही दुहाई
मेरी किसी से भी
न कोई शिकायत हो
मेरे ख़ुदा
बस तेरी यही इनायत हो
की क़यामत से पहले मत आना
जबतक मेरी तपस्या पुरी न हो
मेरे पास मत आना
---- गोविन्द कुमार राहुल
कानपुर ,पनकी -२६ /०४/२०१४
मैं मलिन हो गई
अपनों की चाहत से
मैं दूर हो गई
तो फिर
ये अहिल्या
बैठेगी तपस्या पर
पथ्तर की बूत बनकर
नितांत एकांत में
तुझको याद कर
कोई न मिले मुझसे
न कोई मुझे चाहे
मैं और बस मेरी परछाई
इस दुनियाँ से बस यही दुहाई
मेरी किसी से भी
न कोई शिकायत हो
मेरे ख़ुदा
बस तेरी यही इनायत हो
की क़यामत से पहले मत आना
जबतक मेरी तपस्या पुरी न हो
मेरे पास मत आना
---- गोविन्द कुमार राहुल
कानपुर ,पनकी -२६ /०४/२०१४