Wednesday 22 January 2014

संगम तट से...

साड़ी के सिलवटो में सूरज यु खो जायेगा
ये किसने जाना था ?
ये वक़्त का कोई चाल है या ज़मीन का कोई असर
सदियो की रीत है या कोई नई पहल
अखीर किसके चक्कर में सूरज इतना डूब गया
कि दुनिया से भी बड़ा सूरज इति-सी साड़ी में घुस गया...!
                                    -- गोविन्द कुमार राहुल
                                        कानपूर ,२२-०१-२०१४  

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