Monday 5 May 2014

"भ्रम"

क्या तुमने अशोक को फुलते देखा?

अलसाई-सी रात मे
महुआ की महक अनुभव की?

बगिया मे बौराई कोयल की
ज़ुदाई गीत सुनी

अचानक आए बादलो की
फ़ौज़
सनकी-उमंगी हवाओ की
नाचती मौज़
महसूस की क्या तुमने?

कैसी ये नशा मन पे छायि है
कैसी ज़ुदाई,कैसा दुराव
मुकम्मल-सी ज़िंदगी ही अपनी
क्या फ़िज़ा बनके
दुनिया मे छायि है?
               ---गोविंद कुमार राहुल
                    कानपुर-पनकी,3/05/2014

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