क्या तुमने अशोक को फुलते देखा?
अलसाई-सी रात मे
महुआ की महक अनुभव की?
बगिया मे बौराई कोयल की
ज़ुदाई गीत सुनी
अचानक आए बादलो की
फ़ौज़
सनकी-उमंगी हवाओ की
नाचती मौज़
महसूस की क्या तुमने?
कैसी ये नशा मन पे छायि है
कैसी ज़ुदाई,कैसा दुराव
मुकम्मल-सी ज़िंदगी ही अपनी
क्या फ़िज़ा बनके
दुनिया मे छायि है?
---गोविंद कुमार राहुल
कानपुर-पनकी,3/05/2014
अलसाई-सी रात मे
महुआ की महक अनुभव की?
बगिया मे बौराई कोयल की
ज़ुदाई गीत सुनी
अचानक आए बादलो की
फ़ौज़
सनकी-उमंगी हवाओ की
नाचती मौज़
महसूस की क्या तुमने?
कैसी ये नशा मन पे छायि है
कैसी ज़ुदाई,कैसा दुराव
मुकम्मल-सी ज़िंदगी ही अपनी
क्या फ़िज़ा बनके
दुनिया मे छायि है?
---गोविंद कुमार राहुल
कानपुर-पनकी,3/05/2014
कृपया अपने विचार व्यक्त करे...
ReplyDeleteAmazing lines!!
ReplyDeleteGreat to see ur blog!!
ReplyDeletethanks..yar..
Deleteshai hai yaar...nice lines
ReplyDeletethanks dude..
Deletethanks dude..
Deletebahut aache line hai, bhram faith me badal gaya
ReplyDelete